कठपुतली की तरह थे मेरे जज़्बात
सदियों से मुन्तिज़र, तिलिस्म
उनकी निगाहों का बाँध
रखा मुझे उम्र भर,
चाह कर भी
न तोड़
सका वो पोशीदा उल्फ़त के रेशमी -
धागे, हर सांस पे थी उनकी
मुहोब्बत की मुहर !
जिस्म तो है
मिट्टी का
खिलौना जिसका बिखरना इक दिन
है मुक़र्रर, उसने चाहा है मुझे
लेकिन रूह से बढ़ कर,
तिलिस्म उनकी
निगाहों
का बाँध रखा मुझे उम्र भर - - - - - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
Painting-by-John-Fernandes
सदियों से मुन्तिज़र, तिलिस्म
उनकी निगाहों का बाँध
रखा मुझे उम्र भर,
चाह कर भी
न तोड़
सका वो पोशीदा उल्फ़त के रेशमी -
धागे, हर सांस पे थी उनकी
मुहोब्बत की मुहर !
जिस्म तो है
मिट्टी का
खिलौना जिसका बिखरना इक दिन
है मुक़र्रर, उसने चाहा है मुझे
लेकिन रूह से बढ़ कर,
तिलिस्म उनकी
निगाहों
का बाँध रखा मुझे उम्र भर - - - - - -
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- शांतनु सान्याल
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Painting-by-John-Fernandes
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