कोई ख़ास बात न थी मुझ में, फिर भी
न जाने क्यूँ, इक ज़माने से वो
मुझे भुला न सका, बहोत
ख़्वाहिश थी उसके
दिल में, कि
बनाए
राज़दार अपना, मगर चाह कर भी वो
उम्र भर, अपने नज़दीक मुझे
बुला न सका, दरअसल
हर शख़्स की हैं
अपनी
ही तरज़ीह फ़ेहरिश्त, बहोत कोशिश -
की उसने लेकिन, उनींदी ख्वाबों
को गहरी नींद सुला न
सका, इक ज़माने
से वो मुझे
भुला
न सका, चाह कर भी अपना बना न
सका - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
paintings by Polly Thayer
न जाने क्यूँ, इक ज़माने से वो
मुझे भुला न सका, बहोत
ख़्वाहिश थी उसके
दिल में, कि
बनाए
राज़दार अपना, मगर चाह कर भी वो
उम्र भर, अपने नज़दीक मुझे
बुला न सका, दरअसल
हर शख़्स की हैं
अपनी
ही तरज़ीह फ़ेहरिश्त, बहोत कोशिश -
की उसने लेकिन, उनींदी ख्वाबों
को गहरी नींद सुला न
सका, इक ज़माने
से वो मुझे
भुला
न सका, चाह कर भी अपना बना न
सका - -
* *
- शांतनु सान्याल
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