वो तख़लीक़ जो कर जाए रौशन,
स्याह ज़मीर, उभरे तहे दिल
से नेक जज़्बात, हर
चेहरे पे नज़र
आए -
नूर ए बरसात, छाए रहे वजूद -
पर दुआओं के साए, हर
सिम्त हो पुरसुकूं -
आलम, न
तेरा
चेहरा लगे अजनबी न मेरा अक्स
हो जाली, इक सदाक़त हो
दरमियां अपने, कि
तेरी ख़ामोश
दुआओं
में हो शामिल, मेरी भीगी आँखों -
की आमीन !
* *
- शांतनु सान्याल
स्याह ज़मीर, उभरे तहे दिल
से नेक जज़्बात, हर
चेहरे पे नज़र
आए -
नूर ए बरसात, छाए रहे वजूद -
पर दुआओं के साए, हर
सिम्त हो पुरसुकूं -
आलम, न
तेरा
चेहरा लगे अजनबी न मेरा अक्स
हो जाली, इक सदाक़त हो
दरमियां अपने, कि
तेरी ख़ामोश
दुआओं
में हो शामिल, मेरी भीगी आँखों -
की आमीन !
* *
- शांतनु सान्याल
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