दग़ा दे जाए जब अपना ही साया, आख़िर 
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art by EmilyMiller
इल्ज़ाम किसे दें, किनाराकशी थी 
उसकी बहोत ही ख़ूबसूरत,
टूटती रहीं दिल की 
धडकनें रह 
रह कर,
उसने कहा हमने तो दिल तेरा छुआ भी - 
नहीं, इस अदा पे कोई क्या करे,
वो मुस्कुराते हैं या चलते 
हैं तीर मकनून !
हम ख़ुद 
हैं मातबर इस दिलकश फ़रेब के, सोचते 
हैं अब कि, इनाम किसे दें ! 
* * 
- शांतनु सान्याल 
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