नज़र मिला कि फिर ये रंगीन ख़्वाब रहे न रहे,
artist nora kasten
उठ रहें हैं, पहाड़ों में धुंध के बादल रह रह कर,
किसे ख़बर ये जादुवी, हसीं माहताब रहे न रहे,
अभी तो है, हमारी वफ़ा सादिक़ ओ ख़ूबसूरत,
न जाने सुबह तलक यूँ ही लाजवाब रहे न रहे,
ये आईना भी है, हम पे फ़िदा दिल ओ जां से -
कल किसने है देखा ये नूर ओ शबाब रहे न रहे,
* *
- शांतनु सान्याल
खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंthanks dear friend - -
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