कुछ शब्दों की सुंदरता से, जीवन की
वास्तविकता बदल नहीं सकती,
यौन कर्मी कहो या नगरवधु,
जो परंपरागत शब्द है
उसका अर्थ नहीं
बदलता,
केवल
छद्म कुलीनता के मिथ्यावरण ओढ़े,
हज़ारों साल तक, जीवित रहते
हैं ये दलाल, एक ही जीवन
में मरती है कोई वेश्या
हज़ार बार, खादी
पहन लेने भर
से गलित
मानसिकता बदल नहीं सकती, कुछ
शब्दों की सुंदरता से, जीवन की
वास्तविकता बदल नहीं
सकती। इस रंगमंच
के पीछे बसते
हैं अनेक
पात्र,
कुछ अंध चरित्र, कुछ उजालों के हैं -
पैरोकार, इस मंच से उतर कर
सभी दौड़े जा रहे हैं, ले के
हाथ में पत्थर, इक
चुप्पी सी है हर
तरफ, किसी
रुके हुए
इन्साफ़ की तरह, ख़याबान ए हरम
हो, या कोई मंदिर का रास्ता,
सभी चेहरे हैं तमाशबीन,
गणिका हो या कोई
लहूलुहान रूह,
किसी को
नहीं
यहाँ किसी से, कोई भी सरोकार, इस
रंगमंच के पीछे बसते हैं अनेक
पात्र, कुछ अंध चरित्र, कुछ
उजालों के हैं पैरोकार।
कुछ विषाक्त जड़ें
होती हैं गहरी
ज़मीं के
बहुत
अंदर जिन्हें उखाड़ फेंकना सहज नहीं,
ये भी सच नहीं कि कुछ विकृत
अनुवांशिकता बदल नहीं
सकती, कुछ शब्दों
की सुंदरता से,
जीवन की
वास्तविकता बदल नहीं सकती - - -
* *
- - शांतनु सान्याल
04 अप्रैल, 2021
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कुछ विषाक्त जड़ें
जवाब देंहटाएंहोती हैं गहरी
ज़मीं के
बहुत
अंदर जिन्हें उखाड़ फेंकना सहज नहीं,
ये भी सच नहीं कि कुछ विकृत
अनुवांशिकता बदल नहीं
सकती, कुछ शब्दों
की सुंदरता से,
जीवन की
वास्तविकता बदल नहीं सकती -
बहुत सटीक अभिव्यक्ति।
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 05-04 -2021 ) को 'गिरना ज़रूरी नहीं,सोचें सभी' (चर्चा अंक-4027) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंवाह, बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंआपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंबहुत सुन्दर् और सशक्त रचना।
जवाब देंहटाएंआपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंअति सुन्दर हृदयस्पर्शी सृजन ।
जवाब देंहटाएंआपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंएक शाश्वत सत्य कह दिया आपने शांतनु जी...कि
जवाब देंहटाएंछद्म कुलीनता के मिथ्यावरण ओढ़े,
हज़ारों साल तक, जीवित रहते
हैं ये दलाल, एक ही जीवन
में मरती है कोई वेश्या
हज़ार बार, खादी
पहन लेने भर
से गलित
मानसिकता बदल नहीं सकती...बहुत खूब
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन सर।
जवाब देंहटाएंसादर
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंकुछ शब्दों
जवाब देंहटाएंकी सुंदरता से,
जीवन की
वास्तविकता बदल नहीं सकती -
सशक्त रचना जो वेश्या जीवन पर मार्मिक प्रस्तुति और दर्शन जो मन को बींधनिकलता है |
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंसार्थक चित्ररत किया है आपने, सच छद्मता का आवरण बस धोखा है बदलता कुछ नहीं है ।
जवाब देंहटाएंवाह!
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंबेहतरीन रचना, बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंआपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
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