जो ख़ुद को उजाड़ कर रख दे, इतनी मुहोब्बत
भी ठीक नहीं, अँधेरे का सफ़र इतना
आसां नहीं मेरी जां, शाम से
पहले कुछ रौशनी के
टुकड़े अपने
साथ तो रख लो, न जाने कहाँ दे जाए फ़रेब - -
चाँदनी ! अभ्र वो चाँद के दरमियां,
है क्या राज़ ए पैमां, किसे
ख़बर, बहोत कुछ
नहीं होता
हाथों की लकीरों में लिखा, टूट जाते हैं ख्बाब
बाअज़ औक़ात, निगाहों में ठहरने से
पहले, न कर इतना भी यक़ीं
बुत ए ख़ामोश पर मेरी
जां, कि ये वो शै
है जो - -
कर जाती है असर पोशीदा, सांस रुकने तक
पता ही नहीं चलता, दवा और ज़हर -
शिरीं के असरात - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
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भी ठीक नहीं, अँधेरे का सफ़र इतना
आसां नहीं मेरी जां, शाम से
पहले कुछ रौशनी के
टुकड़े अपने
साथ तो रख लो, न जाने कहाँ दे जाए फ़रेब - -
चाँदनी ! अभ्र वो चाँद के दरमियां,
है क्या राज़ ए पैमां, किसे
ख़बर, बहोत कुछ
नहीं होता
हाथों की लकीरों में लिखा, टूट जाते हैं ख्बाब
बाअज़ औक़ात, निगाहों में ठहरने से
पहले, न कर इतना भी यक़ीं
बुत ए ख़ामोश पर मेरी
जां, कि ये वो शै
है जो - -
कर जाती है असर पोशीदा, सांस रुकने तक
पता ही नहीं चलता, दवा और ज़हर -
शिरीं के असरात - -
* *
- शांतनु सान्याल
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