तुम्हारी चाहतों में है कितनी सदाक़त
ये सिर्फ़ तुम्हें है ख़बर, हमने तो
ज़िन्दगी यूँ ही दाँव पे
लगा दिया, हर
मोड़ पर
हिसाब ए मंज़िल आसां नहीं, तुम्हें - -
इसलिए दिल में मुस्तक़ल तौर
पे बसा लिया, वो हँसते हैं
मेरी दीवानगी पे
अक्सर !
गोया हमने वस्त सहरा कोई गुलिस्तां
सजा लिया, ख़ानाबदोश थे इक
मुद्दत से मेरे जज़्बात, जो
तुम्हें देखा भूल गए
सभी रस्ते,
छोड़
दिया ताक़ीब ए क़ाफ़िला, आख़िर में
हमने, तुम्हारी आँखों में कहीं
इक घर बना लिया, हमने
तो ज़िन्दगी यूँ ही
दाँव पे लगा
दिया -
* *
- शांतनु सान्याल
ये सिर्फ़ तुम्हें है ख़बर, हमने तो
ज़िन्दगी यूँ ही दाँव पे
लगा दिया, हर
मोड़ पर
हिसाब ए मंज़िल आसां नहीं, तुम्हें - -
इसलिए दिल में मुस्तक़ल तौर
पे बसा लिया, वो हँसते हैं
मेरी दीवानगी पे
अक्सर !
गोया हमने वस्त सहरा कोई गुलिस्तां
सजा लिया, ख़ानाबदोश थे इक
मुद्दत से मेरे जज़्बात, जो
तुम्हें देखा भूल गए
सभी रस्ते,
छोड़
दिया ताक़ीब ए क़ाफ़िला, आख़िर में
हमने, तुम्हारी आँखों में कहीं
इक घर बना लिया, हमने
तो ज़िन्दगी यूँ ही
दाँव पे लगा
दिया -
* *
- शांतनु सान्याल
thanks a lot respected friend
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