उस शून्य में जब, सब कुछ खोना है
एक दिन, वो प्रतिध्वनि जो
नहीं लौटती पुष्पित
घाटियों को
छू कर,
एक अंतहीन यात्रा, जिसका कोई -
अंतिम बिंदु नहीं, वो अनुबंध
जो अदृश्य हो कर भी
चले परछाई की
तरह,
एक उड़ान जो ले जाए दिगंत रेखा
के उस पार, कहना है मुश्किल
कि बिहान तब तक
प्रतीक्षा कर भी
पाए या
नहीं, फिर भी जीवन यात्रा रूकती
नहीं, तुम और मैं, सह यात्री
हैं ये कुछ कम तो नहीं,
कुछ दूर ही सही,
इस धुंध
भरी राहों में आत्मीयता की ऊष्मा
कुछ पल तो मिले - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
pink beauty 1
एक दिन, वो प्रतिध्वनि जो
नहीं लौटती पुष्पित
घाटियों को
छू कर,
एक अंतहीन यात्रा, जिसका कोई -
अंतिम बिंदु नहीं, वो अनुबंध
जो अदृश्य हो कर भी
चले परछाई की
तरह,
एक उड़ान जो ले जाए दिगंत रेखा
के उस पार, कहना है मुश्किल
कि बिहान तब तक
प्रतीक्षा कर भी
पाए या
नहीं, फिर भी जीवन यात्रा रूकती
नहीं, तुम और मैं, सह यात्री
हैं ये कुछ कम तो नहीं,
कुछ दूर ही सही,
इस धुंध
भरी राहों में आत्मीयता की ऊष्मा
कुछ पल तो मिले - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
pink beauty 1
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (22-12-2013) को "वो तुम ही थे....रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1469" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!!
- ई॰ राहुल मिश्रा
बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट चाँदनी रात
नई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )
thanks a lot all respected friends - - regards
जवाब देंहटाएंआत्मीयता की ऊच्मा ही जीवन को ताप देती है
जवाब देंहटाएंthanks a lot respected friend - - regards
जवाब देंहटाएं