पुरअसरार इस रात की ख़ामोशी, कोई
नज़दीक बहोत लेकिन नज़र न
आए, निगाहों में समेटे
चांद का अक्स
इस तरह,
खुली वादियों में दिल कहीं भटक न -
जाए, क़सम है तुमको न खेलो
डूबती साँसों से इस क़दर,
साहिल के क़रीब
आ कर कहीं
इश्क़ -
मज़तरब, बेतरतीब लहरों में बिखर न
जाए - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
artist bobbie price
नज़दीक बहोत लेकिन नज़र न
आए, निगाहों में समेटे
चांद का अक्स
इस तरह,
खुली वादियों में दिल कहीं भटक न -
जाए, क़सम है तुमको न खेलो
डूबती साँसों से इस क़दर,
साहिल के क़रीब
आ कर कहीं
इश्क़ -
मज़तरब, बेतरतीब लहरों में बिखर न
जाए - -
* *
- शांतनु सान्याल
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खुबसूरत एहसास है !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट काम अधुरा है
thanks a lot respected friend - - regards
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