अभी तो सिर्फ़ देखा है मुझे, चिलमनों
की सरसराहट में कहीं तुमने,
अभी राज़े मुहोब्बत है
बहोत बाक़ी !
न करो अंदाज़ ए बारिश हवाओं के - -
रुख़ से, कहीं रह न जाए दिल
ही दिल में, भीगने की
ख्वाहिश, किसी
मलऊन
सहरा की मानिंद, अभी तो ज़िन्दगी -
का सफ़र है, नुक़ता ए आग़ाज़
पे कहीं, अभी निगाहों
से परे है मेरे
दिल की
ज़मीं, अभी तक राह आतिश, तुमने -
देखा ही नहीं, कुछ और वक़्त
लीजिए ख़ालिस सोने
में बदलने के
लिए !
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
art by barbara fox 3
की सरसराहट में कहीं तुमने,
अभी राज़े मुहोब्बत है
बहोत बाक़ी !
न करो अंदाज़ ए बारिश हवाओं के - -
रुख़ से, कहीं रह न जाए दिल
ही दिल में, भीगने की
ख्वाहिश, किसी
मलऊन
सहरा की मानिंद, अभी तो ज़िन्दगी -
का सफ़र है, नुक़ता ए आग़ाज़
पे कहीं, अभी निगाहों
से परे है मेरे
दिल की
ज़मीं, अभी तक राह आतिश, तुमने -
देखा ही नहीं, कुछ और वक़्त
लीजिए ख़ालिस सोने
में बदलने के
लिए !
* *
- शांतनु सान्याल
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