निःशब्द गिरती वो बूंदें, और दिल की नाज़ुक
सतह, बहोत मुश्किल था, उसे रूह
तक तहलील करना, न पूछे
कोई उसकी ख़ामोश
लबों की दास्तां,
यूँ उतरती
गई दिल की गहराइयों में दम ब दम, कि हम
भूल गए वजूद तक अपना, आईने की
शिकायतें रहीं बेअसर, कुछ इस
तरह से खोए रहे हम, कब
गुज़री शब महताबी,
कब बिखरे
शब गुल हमें ख़बर ही नहीं, कल रात हम न -
थे हमारे अंदर, नादीद क़ब्ज़ा किसीका
जिस्म ओ जां पे, और खुली
पलकों से हम देखते
रहे उसकी
ख़ूबसूरत मनमानी ! जैसे शिकारी ख़ुद ब - -
ख़ुद होना चाहे शिकार - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
deanna walter s art
सतह, बहोत मुश्किल था, उसे रूह
तक तहलील करना, न पूछे
कोई उसकी ख़ामोश
लबों की दास्तां,
यूँ उतरती
गई दिल की गहराइयों में दम ब दम, कि हम
भूल गए वजूद तक अपना, आईने की
शिकायतें रहीं बेअसर, कुछ इस
तरह से खोए रहे हम, कब
गुज़री शब महताबी,
कब बिखरे
शब गुल हमें ख़बर ही नहीं, कल रात हम न -
थे हमारे अंदर, नादीद क़ब्ज़ा किसीका
जिस्म ओ जां पे, और खुली
पलकों से हम देखते
रहे उसकी
ख़ूबसूरत मनमानी ! जैसे शिकारी ख़ुद ब - -
ख़ुद होना चाहे शिकार - -
* *
- शांतनु सान्याल
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thanks a lot all dear friends - - regards
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