चलो तोड़ दिया हमने भी अहद क़दीमी,
कब तक कोई जीए, यूँ सीने में
समेटे अहसास ज़िन्दान,
तुम्हारा वजूद चाहे
इक मुश्त खुली
हवा !
फिर फ़िज़ाओं में है दस्तक बाद ए सुबह
की, तुम्हें हक़ है बेशक, परवाज़ -
वादी, चलो हमने भी खोल
दिया सीने के सभी
दरवाज़े क़फ़स,
बुलाती हैं
फिर तुम्हें, फूलों से लबरेज़ गलियां, न -
भूलना लेकिन, मेरे दिल का वो
दाइमी पता, बहुत मुश्किल
होगी अगर भटक
जाओ राह
चलते, हरगिज़ मौसम पे मेरी जां, न - -
करना मुकम्मल यक़ीं, न जाने
किस मोड़ पे दे जाए, इक
ख़ूबसूरत धोका - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
Realistic paintings of Russian painter Vladimir Maksanov
कब तक कोई जीए, यूँ सीने में
समेटे अहसास ज़िन्दान,
तुम्हारा वजूद चाहे
इक मुश्त खुली
हवा !
फिर फ़िज़ाओं में है दस्तक बाद ए सुबह
की, तुम्हें हक़ है बेशक, परवाज़ -
वादी, चलो हमने भी खोल
दिया सीने के सभी
दरवाज़े क़फ़स,
बुलाती हैं
फिर तुम्हें, फूलों से लबरेज़ गलियां, न -
भूलना लेकिन, मेरे दिल का वो
दाइमी पता, बहुत मुश्किल
होगी अगर भटक
जाओ राह
चलते, हरगिज़ मौसम पे मेरी जां, न - -
करना मुकम्मल यक़ीं, न जाने
किस मोड़ पे दे जाए, इक
ख़ूबसूरत धोका - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
Realistic paintings of Russian painter Vladimir Maksanov
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (16-11-2013) "जीवन नहीं मरा करता है" चर्चामंच : चर्चा अंक - 1431” पर होगी.
जवाब देंहटाएंसूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
thanks a lot respected friend - - regards
जवाब देंहटाएंभावो का सुन्दर समायोजन......
जवाब देंहटाएंहर पल बदलती दुनिया----ना करना मुक्कमल यकीं,किस मोड पर दे जांय इक खूबसूरत धोका,
जवाब देंहटाएंखूबसूरत बन पडीं दिल की बातें
मौसम पे न करना मुकम्मल यकीं ,
जवाब देंहटाएंना जाने किस मोड पर दे जाए एक खूबसूरत धोका।
बहुत सुंदर।
सभी आदरणीय मित्रों को असंख्य धन्यवाद - - नमन सह.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंthanks a lot respected friend - - regards
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना बहुत बधाई आपको ।
जवाब देंहटाएंसभी आदरणीय मित्रों को असंख्य धन्यवाद - - नमन सह.
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