फिर लिखो कभी वही ख़ुश्बुओं में डूबा
अहसास, फिर रख जाओ कभी
चुपके से मेरे सिरहाने, वही
ख़त, जो कभी बेख़ुदी
में यूँ ही लिखा
था दिल
में, दुनिया से छुपा कर तुमने, फिर -
खुले हैं दरीचे बहार के, फिर
दिल चाहता है इज़हार
ए वफ़ा करना,
इक उम्र
से हमने नहीं देखा खुला आसमां, फिर
कहीं से ले आओ टूटते तारों को
ढूंढ़ कर, दिल की तमन्ना
है फिर तेरी मांग पर
कहकशां को
सजाना !
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
dream on window
अहसास, फिर रख जाओ कभी
चुपके से मेरे सिरहाने, वही
ख़त, जो कभी बेख़ुदी
में यूँ ही लिखा
था दिल
में, दुनिया से छुपा कर तुमने, फिर -
खुले हैं दरीचे बहार के, फिर
दिल चाहता है इज़हार
ए वफ़ा करना,
इक उम्र
से हमने नहीं देखा खुला आसमां, फिर
कहीं से ले आओ टूटते तारों को
ढूंढ़ कर, दिल की तमन्ना
है फिर तेरी मांग पर
कहकशां को
सजाना !
* *
- शांतनु सान्याल
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