बहुत कुछ हो कर भी कुछ भी न था हमारे
दरमियां, चंद लफ़्ज़ों का था अफ़साना,
उम्र भर खोजते रहे जिसका उन्वान,
दूर रह कर भी बहुत गहरी थीं
दिल की नज़दीकियां ।
हमने निभाई है हर
एक मोड़ पे
ज़िन्दगी
से हमआहंगी, ये दिगर बात है कि हर
क़दम में पे पाई है नाकामी, कोई
तिलस्म सा है उसकी आंख
की गहराई में, मुझे
मरने नहीं देतीं
उस ख़ामोश
चेहरे की
पहेलियां, बहुत कुछ हो कर भी कुछ
भी न था हमारे
दरमियां ।
- शांतनु सान्याल
04 दिसंबर, 2023
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जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार।
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