25 दिसंबर, 2023

अपरिभाषित मीठापन - -

मध्य रात के साथ शब्द संधान, समुद्र तट पर
उतरती है भीनी भीनी ख़ुश्बू लिए चाँदनी,
काले चट्टानों को फाँदता हुआ जीवन
छूना चाहता है परियों का शुभ्र
परिधान, इक सरसराहट
के साथ खुलते हैं
ख़्वाबों के बंद
दरवाज़े,
निःशब्द कोई रख जाता है ओस में भीगा हुआ
गुलाब, उन्मुक्त देह करता है गहन स्नान,
जीवन छूना चाहता है परियों का शुभ्र
परिधान। कभी कभी हमारे मध्य
ढह जाते हैं सभी सेतु बंध,
प्रणय प्रवाह में बह
जाते हैं सभी
प्रतिबंध,
और
कभी जाग उठता है अन्तर्निहित अभिमान, -
जीवन छूना चाहता है परियों का शुभ्र
परिधान। कुछ झिलमिलाते रेत
कण सोख लेते हैं जीवन
का खारापन, कुछ
आर्द्र अधर में
चिपके रहते
हैं कुछ
अपरिभाषित मीठापन, आँखों की गहराइयों
से गुज़र कर, हृदय छोर से हो कर, जारी
रहता है रूह तक शब्द विहीन महा
अभियान, जीवन छूना चाहता
है परियों का शुभ्र
परिधान।।
- - शांतनु सान्याल 
   

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 27 दिसंबर 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 27 दिसंबर 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

    जवाब देंहटाएं

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past