ज़रूरी नहीं हर इक मोड़ पे मनचाहा रहनुमा मिले,
मतलूब चाहतों के ख़ातिर धरती ओ आसमां मिले,
उठ गए रात ढले सितारों के रंगीन झिलमिलाते
ख़ेमे, कोहरे में बहोत मुश्किल है, गुज़रा हुआ
कारवां मिले,
ख़ेमे, कोहरे में बहोत मुश्किल है, गुज़रा हुआ
कारवां मिले,
शहर वीरान है, दिल का सराय भी
उजड़ा उजड़ा सा, ज़रूरी नहीं हर किसी को दिलकश
कोई गुलिस्तां मिले,
उजड़ा उजड़ा सा, ज़रूरी नहीं हर किसी को दिलकश
कोई गुलिस्तां मिले,
ताउम्र भटकते रहे हम समंदर
के किनारे किनारे दूर तक, न कोई पता - ठिकाना
न ही रेत पर क़दमों के निशां मिले,
के किनारे किनारे दूर तक, न कोई पता - ठिकाना
न ही रेत पर क़दमों के निशां मिले,
ज़रूरी नहीं हर
इक मोड़ पे मनचाहा रहनुमा मिले ।
- - शांतनु सान्याल
इक मोड़ पे मनचाहा रहनुमा मिले ।
- - शांतनु सान्याल
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