29 अक्तूबर, 2022

अपने अंदर - -

मेरी रूह को तितलियों का पैरहन मिले,
जो भी छुए उसे अहसास ए मरहम मिले,

वो शख़्स जो हर वक़्त मुस्कुराता मिला,
क़रीब से देखा तो, आंखें पुर नम निकले,

हज़ार ख़ुदाओं का नूर था उसके चेहरे पे,
उस बच्चे के अलावा सभी भरम निकले,

कलश ओ मीनार के बीच है लंबा फ़ासला,
खोटे सिक्के की तरह सभी धरम निकले,

मीनाबाज़ार की है हर सू बेइंतहा रौशनाई,
रिश्तों के खिलौने मिट्टी के सनम निकले,

न जाने कितने टुकड़ों में बटेगा ये चमन,
एक घर से हज़ार रंग के परचम निकले,

रंगीन पैबन्दों से उन्हें ख़्वाबों का गुमां है,
जिस्म पे मेरे बेशुमार दर्दो अलम निकले,

हंगामा क्यूं कर बरपा एक रोटी की चोरी पे,
शहर में न जाने कितने ही जरायम निकले,
* *
- - शांतनु सान्याल   
 
       
 

 
 

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 30 अक्तूबर 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. वो शख़्स जो हर वक़्त मुस्कुराता मिला,
    क़रीब से देखा तो, आंखें पुर नम निकले,।

    खूबसूरत ग़ज़ल का खूबसूरत शेर

    जवाब देंहटाएं

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