अनंतकाल तक कोई नहीं रहता किसी के
साथ, फिर भी किसी प्रहरी आत्मा की
तरह हम चाहते हैं अदृश्य वृत्त
रेखा अपने आसपास, एक
ऐसा तिलस्मी संदूक
जिसके अंदर हों
सप्तरंगी
मोहक
रेशमी लिबास, हम चाहते हैं अदृश्य वृत्त
रेखा अपने आसपास। न जाने कितने
तहों में हैं बंद, ख़्वाहिशों के अंबार,
ऊपर से है कुनकुना धरातल,
अंदर में छुपा रहता है
अनबुझा अंगार,
समुद्र तट
पर सूर्य
का
सहपलायन संयोग था या पूर्व नियोजित,
रात भर अंधेरा करता रहा उजाले की
तलाश, हम चाहते हैं अदृश्य
वृत्त रेखा अपने आसपास।
सिलवटों में कहीं है छुपी
हुई ज़िन्दगी की
कहानी, हम
हर एक
सुबह
हथेलियों से करते हैं उसे सपाट, अक्स
नहीं खोलता लेकिन रहस्य भरा
कपाट, वही दूर तक होती है
अंतहीन ख़ामोशी, उठ
जाते हैं जब मायावी
हाट, तब हम
करते हैं
वृत्त
रेखा से बाहर निकलने का प्रयास, हम
तोड़ना चाहते हैं परिधि रेखा जो
घिरा होता है आसपास !
* *
- - शांतनु सान्याल सिलवटों का रहस्य - - in video form
21 अक्टूबर, 2022
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