अहाते में कहीं खिलें हैं रजनीगंधा -
या तेरी मुहोब्बत का यक़ीं
हो चला है इस दिल को,
रात भर बरसे
हैं आवारा
बादल, या छूती रही रुक रुक कर - -
बेचैन लहर साहिल को, न
जाने कैसी है ये मद्धम
अहसास की
ख़ुश्बू,
भिगोती है रात ढले सांस बोझिल को,
इक मीठा सा दर्द है, जिस्म ओ
जां में मेरे, क्या कहें या
न कहें उस हसीं
क़ातिल को,
धीरे -
धीरे तेरी मुहोब्बत का यक़ीं हो चला -
है इस दिल को - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
art by FABIO CEMBRANELLI.jpg 1
या तेरी मुहोब्बत का यक़ीं
हो चला है इस दिल को,
रात भर बरसे
हैं आवारा
बादल, या छूती रही रुक रुक कर - -
बेचैन लहर साहिल को, न
जाने कैसी है ये मद्धम
अहसास की
ख़ुश्बू,
भिगोती है रात ढले सांस बोझिल को,
इक मीठा सा दर्द है, जिस्म ओ
जां में मेरे, क्या कहें या
न कहें उस हसीं
क़ातिल को,
धीरे -
धीरे तेरी मुहोब्बत का यक़ीं हो चला -
है इस दिल को - -
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- शांतनु सान्याल
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