रहने दे कुछ दर्द बेज़ुबां तहत ए
राख, कि आँखों ने अभी
अभी दोस्ती की है
अजनबी
ख्वाब से, फिर कभी पूछ लेना
इन नमनाक आँखों का
माज़रा, अभी तो
मुस्कुराने का
हुनर पा
जाए ज़िन्दगी, क्यूँ बेक़रार से
हैं तेरे चेहरे के बदलते रंग,
अभी तो हमने पूरी
तरह से दिल
में तुझे
उतारा भी नहीं, कुछ और वक़्त
चाहिए, मुहोब्बत को
मुक्कमल यक़ीं
में बदलने
के लिए.
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
art by liz lindsey
राख, कि आँखों ने अभी
अभी दोस्ती की है
अजनबी
ख्वाब से, फिर कभी पूछ लेना
इन नमनाक आँखों का
माज़रा, अभी तो
मुस्कुराने का
हुनर पा
जाए ज़िन्दगी, क्यूँ बेक़रार से
हैं तेरे चेहरे के बदलते रंग,
अभी तो हमने पूरी
तरह से दिल
में तुझे
उतारा भी नहीं, कुछ और वक़्त
चाहिए, मुहोब्बत को
मुक्कमल यक़ीं
में बदलने
के लिए.
* *
- शांतनु सान्याल
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