रख गया कोई रात ढलते, यूँ ही दिल
के अहाते, शबनमी बूंदों में डूबे
कुछ महकते गुलाब, या
किसी ने कांपते
ओठों से
छुआ है दहकते आँखों की नमी, फिर
किसी ने अँधेरे में, चुपके चुपके
मेरे सीने पे लिखा हैं इक
रहस्यमयी ग़ज़ल,
या संदली
अहसास में लिपटा कोई ख्वाब, बा -
शक्ल गुलपोश लिफ़ाफ़े में बंद,
किसी ने मेरे सिरहाने
रखा है, अपनी
नाज़ुक
मुहोब्बत की ख़ुश्बू, कि हर करवट पे
ज़िन्दगी सुनती है किसी के क़दमों
की आहट, नींद आजकल है
कुछ हमसे बरहम !
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
poetic rose
के अहाते, शबनमी बूंदों में डूबे
कुछ महकते गुलाब, या
किसी ने कांपते
ओठों से
छुआ है दहकते आँखों की नमी, फिर
किसी ने अँधेरे में, चुपके चुपके
मेरे सीने पे लिखा हैं इक
रहस्यमयी ग़ज़ल,
या संदली
अहसास में लिपटा कोई ख्वाब, बा -
शक्ल गुलपोश लिफ़ाफ़े में बंद,
किसी ने मेरे सिरहाने
रखा है, अपनी
नाज़ुक
मुहोब्बत की ख़ुश्बू, कि हर करवट पे
ज़िन्दगी सुनती है किसी के क़दमों
की आहट, नींद आजकल है
कुछ हमसे बरहम !
* *
- शांतनु सान्याल
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