16 फ़रवरी, 2014

ख़ूबसूरत ख्वाब - -

कोई आहट जो साँसों में भर जाए 
ताज़गी, कोई हमनफ़स जो 
बन जाए, मानी  ए 
ज़िन्दगी, कोई 
अहसास 
गुलाबी, भर जाए भीनी सी ख़ुश्बू,
कि इक मुद्दत से है, मुंतज़िर 
दिल की वीरानगी, फिर 
उठे कोई तूफ़ान, 
ख़ामोश 
तहे जज़्बात, रात गहराते फिर हो 
मुसलसल बरसात, इक छुअन 
तिलस्मी, निगाहों से 
छू जाए दिल 
की ज़मीं,
कि फिर उभरने को हैं बेताब मेरी 
आँखों में कहीं, अनदेखे कुछ 
ख़ूबसूरत ख्वाब !

* * 
- शांतनु सान्याल 

http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
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