इक तलाश जो गुज़री सिसकती -
सीलनभरी राहों से हो कर,
जहाँ जवानी से पहले
ज़िन्दगी झुर्रियों
में सिमट
जाए,
इक जुस्तजू जो चीखती है गली -
कूचे में कहीं, काश उसे
ख़ुशगवार सुबह
नसीब हो
जाए,
इक तमन्ना, जो झांकती है झीनी
पर्दों से कहीं, शायद उसके
ख्वाबों को मिले
तितलियों
के पर,
इक मासूम सी मुस्कान उभरती है
झुग्गियों के साए से कहीं,
काश, वो अंधेरों से
निकल खुली
हँसी में
बदल जाए, इक ख्वाहिश उठती है
अक्सर दिल में, काश, हर
एक चेहरे से बोझिल
रात ढल जाए - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
River Roses
सीलनभरी राहों से हो कर,
जहाँ जवानी से पहले
ज़िन्दगी झुर्रियों
में सिमट
जाए,
इक जुस्तजू जो चीखती है गली -
कूचे में कहीं, काश उसे
ख़ुशगवार सुबह
नसीब हो
जाए,
इक तमन्ना, जो झांकती है झीनी
पर्दों से कहीं, शायद उसके
ख्वाबों को मिले
तितलियों
के पर,
इक मासूम सी मुस्कान उभरती है
झुग्गियों के साए से कहीं,
काश, वो अंधेरों से
निकल खुली
हँसी में
बदल जाए, इक ख्वाहिश उठती है
अक्सर दिल में, काश, हर
एक चेहरे से बोझिल
रात ढल जाए - -
* *
- शांतनु सान्याल
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