जिस्म ओ जां के दरमियां है कोई
लकीर मकनून, या तेरी
चाहत का है कोई
बेइंतहा
जूनून, भटकती है रूह मंज़िल दर
मंज़िल, सहरा - सहरा, वादी
दर वादी, गुलशन -
गुलशन,
इक दीवानगी जो कर जाए असर,
दिल के बहोत अंदर, भूल
जाए ज़मीर, सारी
दुनिया,
लम्हा दर लम्हा, खो जाए वजूद -
किसी की निगाहों में इस
क़दर कि, होश ओ
बेख़ुदी में
न रह जाए कोई तफ़ावत ज़रा भी,
बस इक तेरा चेहरा नज़र आए
रुबरु मेरे, बाक़ी सारा
जहान, इक धुंध
में डूबता
उभरता दिखाई दे मुझको कि मैं
हो चला हूँ तेरे इश्क़ में
लापता - -
* *
- शांतनु सान्याल
अर्थ -
मकनून - छुपा हुआ
जूनून - दीवानगी
सहरा - मरू भूमि
तफ़वात - अंतर
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
moorland contemporary abstract art
लकीर मकनून, या तेरी
चाहत का है कोई
बेइंतहा
जूनून, भटकती है रूह मंज़िल दर
मंज़िल, सहरा - सहरा, वादी
दर वादी, गुलशन -
गुलशन,
इक दीवानगी जो कर जाए असर,
दिल के बहोत अंदर, भूल
जाए ज़मीर, सारी
दुनिया,
लम्हा दर लम्हा, खो जाए वजूद -
किसी की निगाहों में इस
क़दर कि, होश ओ
बेख़ुदी में
न रह जाए कोई तफ़ावत ज़रा भी,
बस इक तेरा चेहरा नज़र आए
रुबरु मेरे, बाक़ी सारा
जहान, इक धुंध
में डूबता
उभरता दिखाई दे मुझको कि मैं
हो चला हूँ तेरे इश्क़ में
लापता - -
* *
- शांतनु सान्याल
अर्थ -
मकनून - छुपा हुआ
जूनून - दीवानगी
सहरा - मरू भूमि
तफ़वात - अंतर
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
moorland contemporary abstract art
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें