दर ओ दीवार के रंग से न आज़मा, दिल
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palermo - art by john lovett
की ज़मीं की ख़ूबसूरती, ढह जाए
मेहराब तो क्या, चांदनी हर
चंद तलाशती है छूना
अहसास ए संग -
मरमरी !
फ़रामोश करके मेरी इश्क़ बुनियाद, वो
रहा बहोत परेशां, ताउम्र कोई देता
रहा दस्तक, ताउम्र दहलीज़
पे थी महकती इक
ख़ामोशी, हर
लम्हा
वो सजाए गुलदान क़ीमती, हर पल - -
कहीं फिसल जाए हाथों से,
शमादान आतफ़ी !
* *
- शांतनु सान्याल
आतफ़ी - जज़्बाती
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