कुछ और मेरे सीने में है, पेश नज़र ज़माना -
Vernazza Door Flowers
कुछ और जुदा, किससे कहें हाल ए
दिल अपना, दुनिया की
सियासत अपनी
जगह, न
देख
मुझे यूँ हैरत ए निगाह, मेरी मंज़िल का निशां
है तेरी आँखों में छुपा, ये परवाज़ सीड़ियाँ
हैं या कोई मकनूं इम्तहां, हर सांस
इक नयी आरज़ू, हर क़दम
ख़्वाबों का कारवां !
इस दौर का
अपना
ही
है क़ानून ज़मीं, जो तोड़ पाए तो हासिल हो
मानी ज़िन्दगी ! फ़र्क़ गुज़ारी उनका
अपना नज़रिया, चश्म अन्दाज़
मेरा यकसानी - -
* *
- शांतनु सान्याल
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