ज़िन्दगी का सफ़र नहीं रुकता, गुज़र जाते हैं
artist ZELIC VICTOR ANDREEVICH
मौसमों के मक़ाम, सुबह शाम के यूँ
तनासब में, फिर कहीं उसकी
मुहोब्बत खोजती
है मेरा निशां,
गुमशुदा,
जज़्बात हैं कि ढलते नहीं, उम्र का भरोसा कुछ
भी नहीं, आज भी वो शामिल है, शाम
के धुंधलके में कहीं, आज भी
इक इंतज़ार हैं ज़िन्दा,
दिल की गहराइयों
में कहीं, इस
अहसास
का, अपना ही है लुत्फ़ बेशुमार, तनहा हो कर
भी वजूद बन जाए हमनफ़स किसी
का - -
* *
- शांतनु सान्याल
artist ZELIC VICTOR ANDREEVICH
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