मय्यसर कहाँ, वो मंज़िल जहाँ ज़िन्दगी को
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art by Yvonne Harry
दो पल राहत मिले, उठते हैं हर सिम्त
मौज कोहराम, हर जानिब है
इक ग़ैर यक़ीनी सूरत -
हाल, न तुझे
खोज
पाए चश्म तिश्ना, न कोई ग़ैर मुन्तज़िर - -
बारिश का ही इमकां, इक दहन
मुसलसल है ज़िन्दगी में
बहरहाल, तेरा
इश्क जुनूं
कहीं
न कर जाए तबाह, दिल का ये नाज़ुक शीशा
ए कायनात - -
* *
- शांतनु सान्याल
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