ख़्वाबों को मुसलसल सीने से लगाए रखिए, सुबह होने तलक इस रात को जगाए रखिए,
उम्मीद की लकीरों में है छुपा जीवन सारांश,
दिल में यूँ तसव्वुर ए फ़िरदौस बनाए रखिए,
इस बज़्म की दिल फ़रेब हैं रस्म ओ रिवाज,
दहलीज़ पे इक शाम ए चिराग़ जलाए रखिए,
उम्रभर की वाबस्तगी थी लेकिन दोस्ती न हुई,
हाथ मिलाने का सिलसिला यूंही बनाए रखिए,
मुख़्तसर है इस जहां में दौर ए मेहमांनवाज़िश,
नक़ली गुलों से आशियां अपना सजाए रखिए,
कोई नहीं होता सफ़र ए ज़िन्दगी का हमसफ़र,
अकेले चलने का हौसला हमेशा बनाए रखिए,
- - शांतनु सान्याल
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 17 अगस्त 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
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