उभरते हैं हृदय कमल से कुछ मौन - -
पंखुड़ियां, लिए अंतर में नव
मंजरियाँ, खिलते हैं
बड़ी मुश्किल
से अश्रु
जल में डूबे सुरभित भावनाएं, जिनमें
होती हैं अनंत गंध मिश्रित कुछ
कोमल अभिलाषाएं, एक
ऐसी अनुभूति जो
जग में फैलाए
मानवता
की असीम शीतलता, जो कर जाए - -
भाव विभोर हर एक वक्षस्थल,
जागे आलिंगन की पावन
भावना, मिट जाएँ
जहाँ अपने
पराए
का चिरकालीन द्वंद, दिव्य सेतु जो
बांधे नेह बंध, जागे हर मन में
विनम्रता की सुरभि, हर
चेहरा लगे स्व -
प्रतिबिम्ब !
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
पंखुड़ियां, लिए अंतर में नव
मंजरियाँ, खिलते हैं
बड़ी मुश्किल
से अश्रु
जल में डूबे सुरभित भावनाएं, जिनमें
होती हैं अनंत गंध मिश्रित कुछ
कोमल अभिलाषाएं, एक
ऐसी अनुभूति जो
जग में फैलाए
मानवता
की असीम शीतलता, जो कर जाए - -
भाव विभोर हर एक वक्षस्थल,
जागे आलिंगन की पावन
भावना, मिट जाएँ
जहाँ अपने
पराए
का चिरकालीन द्वंद, दिव्य सेतु जो
बांधे नेह बंध, जागे हर मन में
विनम्रता की सुरभि, हर
चेहरा लगे स्व -
प्रतिबिम्ब !
* *
- शांतनु सान्याल
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