02 जुलाई, 2023

अन्दाज़ ए महलक - -

न देख फिर मुझे फिर वही 
अन्दाज़ ए महलक 
की नज़र से,
अभी 
अभी उभरा हूँ मैं तबाहकुन 
तूफां के असर से,
दूर तलक हैं 
बिखरे हुए 
दर्द ओ ग़म के क़तरे, फिर 
भी हैं तेरी आंखे न 
जाने क्यूँ इस 
क़दर 
बेख़बर से, ज़रा कुछ देर तो 
सही, सजने दे मजलिस 
ए  सितारा, जिस्म 
ओ जां अभी 
तक हैं 
कुछ तर बतर से - - - - -
* * 
- शांतनु सान्याल  
अन्दाज़ ए महलक - घातक अन्दाज़ 
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/



4 टिप्‍पणियां:

  1. स्याह गूं-ओ-शब् आँख ना दिखाओ मुझको..,
    शम्मे-कुश्तां हूँ शबिस्ताँ में सजाओ मुझको..,
    फ़ाजिलो-खाना ख़राब तलाशें हैं शबे-गिर्द मुझे..,
    शफ़क रुखसार हूँ शब्बा खैर छूपाओ मुझको.....

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