हृदि गंधकोषों में, वो सिर्फ़ बिखरना है जाने,
अनाम वो अहसास है लाजवाब
वृन्तों से टूटकर ज़मींन से मिलना है जाने,
क्षण भंगुर है ये ज़िन्दगी, इक बूंद
अनजान दर्द में, पलकों से गिरना है जाने,
मुंह फेर कर तन्हां जी न सकोगे,
ज़िद्द ठीक नहीं, वक़्त यूँ भी बिसरना है जाने,
मौसम का क्या, बदल जाएगा -
नादाँ दिल ओ मोम, सिर्फ़ पिघलना है जाने,
सीड़ियाँ ग़र हटाली किसी ने तो क्या -
आसमानी नूर, स्वयं यूँ भी उतरना है जाने,
बादलों को है जल्दी, उड़ जाये कहीं भी
आज़ाद निगाहें, हर हाल में बरसना है जाने,
ये आशिक़ी एक दायरे में महदूद नहीं
मंज़िल दर मज़िल, रात दिन फैलना है जाने।
- - शांतनु सान्याल
अनाम वो अहसास है लाजवाब
वृन्तों से टूटकर ज़मींन से मिलना है जाने,
क्षण भंगुर है ये ज़िन्दगी, इक बूंद
अनजान दर्द में, पलकों से गिरना है जाने,
मुंह फेर कर तन्हां जी न सकोगे,
ज़िद्द ठीक नहीं, वक़्त यूँ भी बिसरना है जाने,
मौसम का क्या, बदल जाएगा -
नादाँ दिल ओ मोम, सिर्फ़ पिघलना है जाने,
सीड़ियाँ ग़र हटाली किसी ने तो क्या -
आसमानी नूर, स्वयं यूँ भी उतरना है जाने,
बादलों को है जल्दी, उड़ जाये कहीं भी
आज़ाद निगाहें, हर हाल में बरसना है जाने,
ये आशिक़ी एक दायरे में महदूद नहीं
मंज़िल दर मज़िल, रात दिन फैलना है जाने।
- - शांतनु सान्याल
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 17 जुलाई 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआपका हृदय तल से आभार ।
हटाएंवाह!!
जवाब देंहटाएंये आशिक़ी एक दायरे में महदूद नहीं
मंज़िल दर मज़िल, रात दिन फैलना है जाने।
बेहतरीन शायरी, दिल की गहराइयों से निकली हुई।
आपका हृदय तल से आभार ।
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंआपका हृदय तल से आभार ।
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