05 जुलाई, 2023

बेकरां चाहत - -

अभी तलक, मेरी आँखों में हैं 
तेरी परछाइयाँ, झुलसते 
सहरा में भी है सुकूं 
ओ राहत मुझ 
को, नुक़ता 
नज़र के 
असूल जो भी हों जहान के, 
उजड़ने नहीं देती, यूँ तेरी 
बेकरां चाहत मुझ को,
गिरफ़्त ए गर्दबार 
से भी उभरता 
है जीस्त 
यूँ बार 
बार,
बिखरने नहीं देती हर पल 
तेरी नज़ाकत मुझ को, 
अक्स ए आस्मां 
की तरह है 
मेरी 
वफ़ा, हज़ार धुंध में भी मिटने 
नहीं देती तेरी सदाक़त 
मुझ को। 

* * 
- शांतनु सान्याल 

1 टिप्पणी:





  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 06 जुलाई 2023 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !



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