हर तरफ है मौन मृत्यु जुलूस, गूंगी एहसास,
दूर तक रुद्ध विलाप, फिर भी ज़िन्दगी
दौड़ती है आख़री सांस तक, गली
कूचों से निकल कर, नगर
सीमान्त के उस पार,
कहीं किसी मोड़
पर शायद
मिल
जाए वो अदृश्य पहरेदार। भावशून्य गंगा - -
तकती है सेतु के प्राचीर को, अभी अभी
कोई फेंक गया है किसी अपने एक
आत्मीय को, कञ्चन देह का
मूल्य है माटी, फिर भी
निष्ठुरता का अंत
नहीं, अनुराग
प्रेम सब
कुछ
प्लावित हैं चिथड़ों में सारमेयों के बीच - -
कालाधन संचित करने में लगे हैं
धर्म कर्म के ठेकेदार, कहीं
किसी मोड़ पर शायद
मिल जाए वो
अदृश्य
पहरेदार, जो कर पाए इस जग का - - -
पुनरुद्धार - -
* *
- - शांतनु सान्याल
13 मई, 2021
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हृदयस्पर्शी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति।
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंहृदयस्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंआपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंमर्म को छूती और दायित्व बोध जगाती रचना!!!
जवाब देंहटाएंआपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंअंतर्मन में आशा की किरणें रखनी चाहिए। आपने इस हौसला को बखूबी बाँधा है। भावुक रचना।
जवाब देंहटाएंआपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंकिसी मोड़ पर शायद
जवाब देंहटाएंमिल जाए वो
अदृश्य
पहरेदार, जो कर पाए इस जग का - - -
पुनरुद्धार - -
काश कि मिल जाये ऐसा पुनरुद्धार करने वाला
बहुत ही सुन्दर भावपु सृजन।
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंबहुत ही शानदार हैं। आपने एक बहुत ही जानकारीपूर्ण लेख साझा किया है, इससे लोगों को बहुत मदद मिलेगी, मुझे उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप भविष्य में इसी तरह के पोस्ट लिखते रहेगें। इस उपयोगी पोस्ट के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद और इसे जारी रखें। आप मेरे ब्लॉग से किसी भी प्रकार के उपवास, उत्सव, कथा, महापुरुषों, राजनेताओं, अभिनेताओं, क्रिकेटरों की जयंती, पुण्यतिथि और जन्मदिन, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवस आदि की जानकारी हिंदी में प्राप्त कर सकते हैं। Vnayak Chaturthi
जवाब देंहटाएंआपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंआपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
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