30 अक्टूबर, 2012

नज़्म - - बूंद बूंद

तारुफ़ नहीं आसां, ग़फ़लत ए तक़दीर था 
या कोई शहर फिरंगी, उस पैकर ए 
मसीहा ने मुझे लूटा है सरे 
बज़्म कई बार, वो 
सकूत जो कर 
जाए दिल 
ज़ख़्मी, ऐ रफ़ीक़ ए जां, न देख फिर मुझे 
वही ज़माने की नज़र से, बाअज़
वक़्त पिघला है ये जिस्म 
तब कहीं जा कर 
ज़िन्दगी ने 
पायी है 
जलसा ए रौशनी, जलने दे जिगर मेरा
यूँ ही सुबह होने तलक, मद्धम - - 
मद्धम, बिखरने दे मेरा 
वजूद तेरे इश्क़ में 
बूंद बूंद - - 

- शांतनु सान्याल  
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
तारुफ़ - परिचय
 ग़फ़लत - अवहेलना 
शहर फिरंगी - बहुरंगी नलिका 
पैकर - रूप 
बज़्म - महफ़िल
 सकूत - ख़ामोशी 
रफ़ीक़ - दोस्त 
बाअज़ - कई 

نظم
تارف نہیں اسا، غفلت اے تقدیر تھا
یا کوئی شہر پھرگي، اس پےكر اے
مسیحا نے مجھے لوٹا ہے سر
بذم کئی بار، وہ
سكوت جو کر
جائے دل
زخمی، اے رفیق اے جاں، نہ دیکھ پھر مجھے
وہی زمانے کی نظر سے، بعض 
وقت پگھلا ہے یہ جسم
تب کہیں جا کر
زندگی نے
پائی ہے
جلسہ اے روشنی، جلنے دے جگر میرا
یوں ہی صبح ہونے تلک، مدھم -
مدھم، بکھرنے دے میرا
وجود تیرے عشق میں
بوند بوند -

شانتنو سانیال  
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
تارف - تعارف
  غفلت - خلاف ورزی
شہر پھرگي - بهرگي ٹیوب
پےكر - طور پر
بذم - محفل
  سكوت - خاموشی
رفیق - دوست
بعض - کئی
 Kaleidoscope Art

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past