03 अक्टूबर, 2012

जलसा ए नजूम - -

शाम ए चिराग़ जले हैं अभी अभी, न देख यूँ 
डूबती नज़रों से, कहीं मिस्बाह हयात 
बुझ न जाए, सितारों की बज़्म है 
अभी तलक बिखरी बिखरी,
जलसा ए नजूम  में 
कहीं मेरा इश्क़
गुम हो  न 
जाए,
फिज़ाओं में है इक अजीब सा ख़लूस छाया
हुआ, हर सिम्त जैसे उठ चले हों 
धुंध आतफ़ी, न कर रुसवा 
मासूम दिल को इस 
क़दर कि नाबद
हसरत कहीं 
ढह न 
जाए, बड़ी मुश्किल से हैं मिले किश्तियों को 
किनारे, इस बेरुख़ी से कहीं नाज़ुक 
जज़्बात बह न जाए - -  

- शांतनु सान्याल 

मिस्बाह हयात - चिराग़ ज़िन्दगी 
बज़्म - महफ़िल 
जलसा ए नजूम - सितारों का जमाव 
ख़लूस - शुद्धता 
आतफ़ी - जज़्बाती 
नाबद - मंदिर
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
celestial beauty 2 

3 टिप्‍पणियां:

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past