वो तलाश जो ले जाए ख्याली दुनिया से परे,
हक़ीक़त की ज़मीं हो ज़ाहिर जहाँ, दिल
चाहता है, फिर तीरगी ए हिजाब
हटाना, चलों देखे ज़रा फिर
बेनक़ाब ज़िन्दगी को
बरअक्स आइना,
ये झिझक
कैसी जो रोकती है, तन्हाई में भी लिबास -
बदलना, न जाने किस की निगाह है
खुली रात दिन, न जाने कौन है,
दर दाख़िल ओ ख़ारिज
मुसलसल मौजूद,
चाहता है, हर
वक़्त, ज़मीर को मुक्कमल बदलना, राह ए
उजागर की जानिब बढ़ना, ख़ुद को
पाक इशराक़ से भरना - -
तीरगी ए हिजाब - अंधकार का पर्दा
दर दाख़िल ओ ख़ारिज - अन्दर और बाहर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें