अदृश्य, असीम, वो दिव्य आलोक जो
भर जाए अंतर्मन की अथाह -
गहराई, फिर उदित
हो तमस
भेद
सहस्त्र अश्वों के रथ में आसीन, - -
युगांतकारी सूर्य, लिए देह
में प्रज्वलित अनल
शिखा, फिर
गर्जना
हो
अनंत शंख नाद से एक बार, पुनश्च
हो महोत्सव रिपु दहन का !
पुनः जागे सुप्त धरा
लिए रक्त में
बीज,
कुरुक्षेत्र के विस्मृत योद्धाओं का - - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
art of Nandalal Bose - India
भर जाए अंतर्मन की अथाह -
गहराई, फिर उदित
हो तमस
भेद
सहस्त्र अश्वों के रथ में आसीन, - -
युगांतकारी सूर्य, लिए देह
में प्रज्वलित अनल
शिखा, फिर
गर्जना
हो
अनंत शंख नाद से एक बार, पुनश्च
हो महोत्सव रिपु दहन का !
पुनः जागे सुप्त धरा
लिए रक्त में
बीज,
कुरुक्षेत्र के विस्मृत योद्धाओं का - - -
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