आज़ादी का जश्न हर तरफ़, ज़मीं ओ
आसमां सब उनकी मिल्कियत,
उस मोड़ पे है खड़ी बेलिबास,
ख़ामोश, नफ़स दर
नफ़स भटकती
ये ज़िन्दगी,
वो -
जलाएं चिराग़ जहाँ जी चाहे, बाम हो
दहलीज़, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता,
उनका फ़ैसला है उनकी
तबीयत, ज़मीं ओ
आसमां सब
उनकी
मिल्कियत ! मुझे मालूम है बेनक़ाब
चेहरे की मुहोब्बत, चिराग़
बुझते ही वो नज़र
आयेंगे, फिर
शक्ल ए
शिकारी यकसां, बचपन से बुढ़ापे तक
देखा मैंने, उन्हें बहोत क़रीब से,
सब तरफ हैं मोहरे उनके,
हर मोड़ पे हैं मौजूद
उनके निगहबां,
जानते हैं
सब उनकी नेकदिली, कितनी पाक है
उनकी नियत, ज़मीं ओ आसमां
सब उनकी मिल्कियत - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
painting by ARUP LODH - KOLKATA - INDIA
आसमां सब उनकी मिल्कियत,
उस मोड़ पे है खड़ी बेलिबास,
ख़ामोश, नफ़स दर
नफ़स भटकती
ये ज़िन्दगी,
वो -
जलाएं चिराग़ जहाँ जी चाहे, बाम हो
दहलीज़, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता,
उनका फ़ैसला है उनकी
तबीयत, ज़मीं ओ
आसमां सब
उनकी
मिल्कियत ! मुझे मालूम है बेनक़ाब
चेहरे की मुहोब्बत, चिराग़
बुझते ही वो नज़र
आयेंगे, फिर
शक्ल ए
शिकारी यकसां, बचपन से बुढ़ापे तक
देखा मैंने, उन्हें बहोत क़रीब से,
सब तरफ हैं मोहरे उनके,
हर मोड़ पे हैं मौजूद
उनके निगहबां,
जानते हैं
सब उनकी नेकदिली, कितनी पाक है
उनकी नियत, ज़मीं ओ आसमां
सब उनकी मिल्कियत - -
* *
- शांतनु सान्याल
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