है अँधेरा घिरता हुआ, दम ब दम हो चले
तुम, मेरी ज़ात पे यूँ क़ाबिज़,
कि छूट चली है दूर
ये ज़मीं, और
आसमां
नज़र आए कोई वहम रंगीन ! फिर है -
तलाश किसी नूर मसीहाई का,
ये कैसा माहौल ए जुनूं
है कि तेरे इश्क़ में,
भूल सा चला
है वजूद,
सारी कायनात ! ये कैसा असर है तेरी
चश्म किमियाई का, इक अजीब
सा अहसास ए नशा है हर
सिम्त, दम ब दम
ज़िन्दगी
खींचे जा रही है, जाने किस सम्मोहन -
की जानिब, तोड़ भी दे कोई ये
ख़्वाब मेरा बिखरने से
पहले, कि वास्ता
है तुम्हें
सिर्फ़ इक पोशीदा ख़ुदाई का - - - - - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
art by Marina Petro 1
तुम, मेरी ज़ात पे यूँ क़ाबिज़,
कि छूट चली है दूर
ये ज़मीं, और
आसमां
नज़र आए कोई वहम रंगीन ! फिर है -
तलाश किसी नूर मसीहाई का,
ये कैसा माहौल ए जुनूं
है कि तेरे इश्क़ में,
भूल सा चला
है वजूद,
सारी कायनात ! ये कैसा असर है तेरी
चश्म किमियाई का, इक अजीब
सा अहसास ए नशा है हर
सिम्त, दम ब दम
ज़िन्दगी
खींचे जा रही है, जाने किस सम्मोहन -
की जानिब, तोड़ भी दे कोई ये
ख़्वाब मेरा बिखरने से
पहले, कि वास्ता
है तुम्हें
सिर्फ़ इक पोशीदा ख़ुदाई का - - - - - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
art by Marina Petro 1
thanks respected friend -
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