वो अहसास ख़ालिस जिसमें हो शामिल इश्क़
आलमगीर, रंग रूप नश्ल के तफ़ावत
से जुदा, इक ऐसा फ़लसफ़ा ए
ज़िन्दगी, जिसमें हर
चेहरा लगे,
खिलता हुआ गुल ताज़ा, हर नफ़्स में उभरे -
ख़ुशबू ए इंसानियत, वगरना बेमानी
हैं सभी तामीर ए ज़ियारत -
गाह, अक्स ख़ुदा होता
नहीं है शामिल,
अगर - -
दस्त दुआ न हो सफ़ाफ़ दिल वाला - - - - - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
rare flower - -
आलमगीर, रंग रूप नश्ल के तफ़ावत
से जुदा, इक ऐसा फ़लसफ़ा ए
ज़िन्दगी, जिसमें हर
चेहरा लगे,
खिलता हुआ गुल ताज़ा, हर नफ़्स में उभरे -
ख़ुशबू ए इंसानियत, वगरना बेमानी
हैं सभी तामीर ए ज़ियारत -
गाह, अक्स ख़ुदा होता
नहीं है शामिल,
अगर - -
दस्त दुआ न हो सफ़ाफ़ दिल वाला - - - - - -
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- शांतनु सान्याल
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