साअत गुज़िश्ता तुम थे, जिस्म ओ जां -
पे छाए, किसी शब ए गुल की
मानिंद, सदा बहार कोई
ख़ुशबू ! जाती नहीं
ख़ुमारी अब
तलक,
दिल ओ ज़ेहन से, जबकि दिन ढलने को
है कुछ लम्हा बाक़ी, फिर तेरा
इंतज़ार भर चला है -
पुराने ज़ख्म
धीरे धीरे,
फिर जलने की ख़्वाहिश लिए ज़िंदगी - -
तकती है बुझे चिराग़ की जानिब,
फिर चाहता है दिल तुझे
अहसास करना
रूह ए
गहराई तक, फिर निगाहों की चांदनी में
बिखरने की आरज़ू है कहीं -
बेक़रार ज़िन्दगी
को - -
* *
- शांतनु सान्याल
साअत गुज़िश्ता- आखरी पहर
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
paintings-by-marney-ward
पे छाए, किसी शब ए गुल की
मानिंद, सदा बहार कोई
ख़ुशबू ! जाती नहीं
ख़ुमारी अब
तलक,
दिल ओ ज़ेहन से, जबकि दिन ढलने को
है कुछ लम्हा बाक़ी, फिर तेरा
इंतज़ार भर चला है -
पुराने ज़ख्म
धीरे धीरे,
फिर जलने की ख़्वाहिश लिए ज़िंदगी - -
तकती है बुझे चिराग़ की जानिब,
फिर चाहता है दिल तुझे
अहसास करना
रूह ए
गहराई तक, फिर निगाहों की चांदनी में
बिखरने की आरज़ू है कहीं -
बेक़रार ज़िन्दगी
को - -
* *
- शांतनु सान्याल
साअत गुज़िश्ता- आखरी पहर
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
paintings-by-marney-ward
हरेक फिर के पहलू में एक काफ़िर छुपा होता है..,
जवाब देंहटाएंपीरो-दरो-दीवार के पसे एक बेपीर छुपा होता है.....
thanks respected friend - -
जवाब देंहटाएं