बेख़्वाब मेरी आँखें और तुम नज़र आए -
बहोत दूर, जा रहे हो अजनबी की
तरह, सब कुछ समेटे अपने
पहलू में आहिस्ता -
आहिस्ता,
न कहा ख़ुदा हाफ़िज़, न फिर मिलने का
झूठा ही कोई वादा, हमने देखा है -
तुम्हें, लिए दिल में एक
हसरत, उदास
बियाबां -
ज़मीं की तरह, जा रहे हो तुम न जाने -
किस जानिब, कल रात अब्र क़तअ,
शीशे की मानिंद ! सब कुछ
समेटे अपने पहलू में
अहिस्ता -
आहिस्ता, देखा है कल रात तुम्हें कुछ -
यूँ बेनज़ीर, अंदाज़ ए मबहम,
जा रहे हो तुम निकल
मेरी साँसों से
इक -
मुश्त, हसीं ज़िन्दगी की तरह, बहोत - -
दूर तुम नज़र आए ख़लाओं में
गुम, लम्हा लम्हा इक
अनबुझ तिश्नगी
की तरह,
बेख़्वाब मेरी आँखें और तुम नज़र आए -
बहोत दूर, जा रहे हो अजनबी की
तरह - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
art by - ASHLEY BERRY
बहोत दूर, जा रहे हो अजनबी की
तरह, सब कुछ समेटे अपने
पहलू में आहिस्ता -
आहिस्ता,
न कहा ख़ुदा हाफ़िज़, न फिर मिलने का
झूठा ही कोई वादा, हमने देखा है -
तुम्हें, लिए दिल में एक
हसरत, उदास
बियाबां -
ज़मीं की तरह, जा रहे हो तुम न जाने -
किस जानिब, कल रात अब्र क़तअ,
शीशे की मानिंद ! सब कुछ
समेटे अपने पहलू में
अहिस्ता -
आहिस्ता, देखा है कल रात तुम्हें कुछ -
यूँ बेनज़ीर, अंदाज़ ए मबहम,
जा रहे हो तुम निकल
मेरी साँसों से
इक -
मुश्त, हसीं ज़िन्दगी की तरह, बहोत - -
दूर तुम नज़र आए ख़लाओं में
गुम, लम्हा लम्हा इक
अनबुझ तिश्नगी
की तरह,
बेख़्वाब मेरी आँखें और तुम नज़र आए -
बहोत दूर, जा रहे हो अजनबी की
तरह - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
art by - ASHLEY BERRY
बहुत ही सुंदर और सार्थक प्रस्तुती,आभार।
जवाब देंहटाएंthanks a lot respected friend - -
जवाब देंहटाएं