साहिल का दर्द रहा इब्दी ख़ामोश, मौज थे
artist Joyce Ortner
या कोई ख़ानाबदोश, आए लहराके यूँ
कि दामन बचाना था मुश्किल,
भीगी पलकों से सिर्फ़ हम
देखते रहे, उनका यूँ
लौट जाना मझ -
धार में,
तोड़ गया सभी, ज़रीफ़ जज़्बाती किनारे,
शफ़क़ के धुंधलके में डूबता उभरता
रहा, माहताब ए इश्क़ मेरा बार
बार, बग़ैर सुख़न सिर्फ़
हम उन्हें देखते
रहे, किस
तलातुम में गुज़री रात, किसे क्या बताएं,
राह आतिश कामिल और पा बरहना,
न जाने किस की जानिब यूँ
मदहोश हम गुज़रते
रहे, तमाम रात
कभी जिए
और कभी हम मुसलसल मरते रहे - - - -
- शांतनु सान्याल
इब्दी - अनंत
ख़ानाबदोश - बंजारे
ज़रीफ़ - नाज़ुक
शफ़क़ - गोधूलि
माहताब - चाँद
सुख़न - बात
तलातुम - अशांति
कामिल - पूर्ण
पा बरहना -नंगे पैर
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