वो जुस्तजू जो ले जाए ख़ुद से ख़ुद को बहोत दूर
नहीं चाहिए वो चाहत जो कर जाए मुझे मग़रूर,
मजनून आज़माइश बनाती है मुझे रंग ए हिना,
यक़ीनन आज नहीं तो कल रंग लाएगी ये ज़रूर,
ये मेरी ज़िन्दगी है या कोई कशीर रंगी अक्काश,
टूट कर भी बिखरती है जो हर जानिब मेरे हुज़ूर,
चाहे जो भी नाम दे लें इसे फ़र्क़ कुछ नहीं पड़ता,
ग़ैर महसूस हो कर भी है ये इश्क बहोत मशहूर,
Sundar rachna....
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट में आपका स्वागत है |
जमाना हर कदम पे लेने इम्तिहान बैठा है
असंख्य धन्यवाद, मैं सक्रीय हो कर सभी विज्ञ मित्रों से जुड़ना चाहता हूँ, लेकिन कार्य में बहुत अधिक व्यस्त रहने की वजह से चाह कर आप लोगों तक पहुँच नहीं पाता, आशा है क्षमा करेंगे, भविष्य में कोशिश ज़रूर करूँगा - नमन सह.
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