हम आज भी हैं वहीँ पड़े किसी सीप की तरह,
लिए सीने में ज़ख्म रंगीन, ये अपनी
अपनी क़िस्मत है, कि तुम
मोती नायाब हो गए,
छत पे बिखरी
है चांदनी
ये ख़बर हमने ही दी थी तुम्हें, सीड़ी थामे हम
अँधेरे में रहे खड़े, ये और बात है कि तुम
मंजिल छूने में कामयाब हो गए,
फिर कभी पूछ लेना हाल ए
दिल अपना, आज तो है
रौशन तुम्हारी
दुनिया,
कभी थे हम भी, तुम्हारे लिए अहमियत का इक
सबब, वक़्त वक़्त की बात है, रात घिरते
ही हम भी डूबता बेरंग आफ़ताब हो
गए - -
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना, सार्थक भाव, बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर भी पधारें , आभारी होऊंगा.
सुंदर भावपूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट में आपका स्वागत है |
बुलाया करो
असंख्य धन्यवाद माननीय मित्रों - नमन सह
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