21 सितंबर, 2025

अंतः अस्ति प्रारंभः

आख़री बिंदु पर आ कर भी ज़िन्दगी

नहीं रुकनी चाहिए, उसी बिंदु से
होती है नई शुरुआत, लोगों
का है अपना अलग
नज़रिया, हर के
नज़र से ख़ुद
को नहीं
बदला
जा
सकता, दरसअल लोगों को ख़ुश रखने
की कोशिश में हम भूल जाते हैं
बिम्ब अपना, बस वहीं से
होता है मानसिक
अपघात,
आख़री बिंदु पर आ कर भी ज़िन्दगी
नहीं रुकनी चाहिए, उसी बिंदु से
होती है नई शुरुआत ।
तमाम उम्र साथ
रहने के बाद
भी लोग
एक
दूजे से रहते हैं अनजान, न जाने कितने
बार हम करते हैं दुःख दर्द साझा,
फिर भी नहीं हो पाती गहरी
पहचान, रस्म अदायगी
से अधिक नहीं बढ़
पाती दिल की
बात, आख़री
बिंदु पर

कर भी ज़िन्दगी नहीं रुकनी चाहिए,
उसी बिंदु से होती है नई
शुरुआत - -
- - शांतनु सान्याल


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