दर्द के कोहरे से निकल अक्सर देखा
है; तुझे ऐ ज़िन्दगी मुस्कुराते,
कोई तो है गुमनाम
शख्स, जो रख
जाता है;
ओस में भीगे अहसास, बिहान से - -
पहले, नाज़ुक दिल के अहाते,
मैं चाह कर भी हो नहीं
पाता लापता,
उसकी
नज़र में, वो कहीं न कहीं रहता है - -
शामिल गहराइयों तक मेरे
वजूद में, मैं लौट आता
हूँ अँधेरी राहों से
अक्सर
उसके सीने में तड़प कर, बहोत दूर
जाते जाते।
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
wild bloom
है; तुझे ऐ ज़िन्दगी मुस्कुराते,
कोई तो है गुमनाम
शख्स, जो रख
जाता है;
ओस में भीगे अहसास, बिहान से - -
पहले, नाज़ुक दिल के अहाते,
मैं चाह कर भी हो नहीं
पाता लापता,
उसकी
नज़र में, वो कहीं न कहीं रहता है - -
शामिल गहराइयों तक मेरे
वजूद में, मैं लौट आता
हूँ अँधेरी राहों से
अक्सर
उसके सीने में तड़प कर, बहोत दूर
जाते जाते।
* *
- शांतनु सान्याल
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