ज़रूरत से ज़ियादा उम्मीद न कर
जाए तुम्हें परेशां, रहने दे
मुझे यूँ ही गुमनाम
गलियों में
कहीं,
न बना जाए तुम्हें, इश्क़ जानलेवा
उजली रातों की त्रासदी, वो
ख्वाब जिसकी उम्र हो
मुख़्तसर, न
दिखा
मुझको ख्यालों की ज़िन्दगी, कहीं
छलक न जाएँ मेरी ख़मोश
निगाहें, न दे मुझे
इतनी ख़ुशी,
बहोत
कठिन है राह आतिश से गुज़रना
ऐ मेरे हमनशीं - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
art Letnà kytice s chrpami_pastel
जाए तुम्हें परेशां, रहने दे
मुझे यूँ ही गुमनाम
गलियों में
कहीं,
न बना जाए तुम्हें, इश्क़ जानलेवा
उजली रातों की त्रासदी, वो
ख्वाब जिसकी उम्र हो
मुख़्तसर, न
दिखा
मुझको ख्यालों की ज़िन्दगी, कहीं
छलक न जाएँ मेरी ख़मोश
निगाहें, न दे मुझे
इतनी ख़ुशी,
बहोत
कठिन है राह आतिश से गुज़रना
ऐ मेरे हमनशीं - -
* *
- शांतनु सान्याल
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जरुरत से ज्यादा की उम्मीद न कर..,
जवाब देंहटाएंरहने दे गैर हाल मुझे ताकीद न कर..,
कही बन जाए न ये इश्क जान लेवा..,
खुबरुई छोड़ दे मिरी नज़रों की बसर.....
शुक्रिया नीतू जी - - नमन सह
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